वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
जी चाहता है उन अनपढ़े खतों औरअनदेखी तस्वीरों पर एक नज़र डालूँ.....
मगर दिल सिहर जाता है, जज़्बात उफनने से डरते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
एक लम्हे की बेकरारी कहीं उम्रभर की बेचैनी न बन जाए,तेरी अदा कहीं हया न बन जाए.....
अब वो राहगीर भी दूसरी डगर से गुज़रते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
शायद मैं समझा न सकूँगा उन्हें सबब उनकी आवारगी का.....
क्यों वो खोये- खोये से हैं, डरे- सहमे से आहें भरते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
एक एहसान तू मुझपे कर, खुदा के वास्ते ही सही.....
गर चाहती है सलामती मेरी...
मेरे दर से वो तस्वीरें, वो ख़त लेजा, उन्हें देख अब ये अरमान पल-पल मरते हैं.....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
जी चाहता है उन अनपढ़े खतों औरअनदेखी तस्वीरों पर एक नज़र डालूँ.....
मगर दिल सिहर जाता है, जज़्बात उफनने से डरते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
एक लम्हे की बेकरारी कहीं उम्रभर की बेचैनी न बन जाए,तेरी अदा कहीं हया न बन जाए.....
अब वो राहगीर भी दूसरी डगर से गुज़रते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
शायद मैं समझा न सकूँगा उन्हें सबब उनकी आवारगी का.....
क्यों वो खोये- खोये से हैं, डरे- सहमे से आहें भरते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
एक एहसान तू मुझपे कर, खुदा के वास्ते ही सही.....
गर चाहती है सलामती मेरी...
मेरे दर से वो तस्वीरें, वो ख़त लेजा, उन्हें देख अब ये अरमान पल-पल मरते हैं.....
वो चंद तस्वीरें और कुछ अनपढ़े से ख़त.....
आज भी तेरी खामोशी का राज़ बयान करते हैं.....
___________________________प्रमोद कुमार सोरौत.